शायरी (Poetry)

SHER-O-SHAYARI शायरी (Poetry) -0 Minutes

Meri fitrat hai mastana (मेरी फितरत है मस्ताना)

Meri fitrat hai mastana (मेरी फितरत है मस्ताना) मेरी नींदों का रिश्ता खुशबुओं के साथ बन जाये मुझे वो ख़्वाब भेजो तुम कि मेरी रात बन जाये मेरे दिल की ज़मीनो में दरारें ही...
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शायरी (Poetry) -0 Minutes

shayari

खुदा के हुक्म से क्यूँ कोई ये जहाँ छोड़े हम ज़मीं छोड़ दें, पहले वो आसमाँ छोड़े दिल को पत्थर भी करोगे तो कुछ न बदलेगा दर्द फरहाद है, पत्थर पे भी निशाँ छोड़े...
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KAVITAYE शायरी (Poetry)

Dil Ka Rishta Ajeeb Hota Hain (दिल का रिश्ता अजीब होता है)

Dil Ka Rishta Ajeeb Hota Hain (दिल का रिश्ता अजीब होता है) दिल का रिश्ता अजीब होता है दूर है जो, करीब होता है। तन्हा रातों में चाँद भी तनहा हिज्र का भी नसीब...
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शायरी (Poetry)

kaee sultaan shaamil hain hamaare karjadaaron mein (कई सुल्तान शामिल हैं हमारे कर्जदारों में)

Hindi अगर भटके तो क्या भटके ज़मीनी रहगुज़ारों मेंचलो वो रास्ते ढूँढ़ें, जो खुलते हैं सितारों में मैं हूँ इक जंगली पौधा, मेरी फ़ितरत है मस्तानामैं मुरझा जाऊँगा रहना पड़ा गर दुनियादारों में सुनारों...
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शायरी (Poetry)

meree baanhon mein pahalee baar jab tum kasamasaaye the (मेरी बाँहों में पहली बार जब तुम कसमसाये थे)

meree baanhon mein pahalee baar jab tum kasamasaaye the (मेरी बाँहों में पहली बार जब तुम कसमसाये थे) Hindi गुलाबी सर्दियाँ थीं धूप थी खुशबू के साये थेयही मौसम था पिछले साल जब हम...
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शायरी (Poetry)

Sharari : vo samajhaute bahut mahange pade hain (वो समझौते बहुत महँगे पड़े हैं)

वो समझौते बहुत महँगे पड़े हैं/ vo samajhaute bahut mahange pade hain Hindi बिछड़ते वक्त दोनों हँस के बिछड़े,तो अब आँखों में क्यूँ बादल भरे हैंबिना समझे जो हमने कर लिए थे,वो समझौते बहुत...
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शायरी (Poetry) -1 Minute

तो मैं कितना प्यार करता (To Main Kitna Pyar Karta)

तो मैं कितना प्यार करता (To Main Kitna Pyar Karta) Hindi कभी दिल निसार करता कभी जाँ निसार करतातुम प्यार करने देतीं, तो मैं कितना प्यार करता कभी बादलों पे जा के आवाज़ देता...
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शायरी (Poetry)

क्या अपना मिलना ज़रूरी था? (Kya Apna Milna Jaruri Tha

क्या अपना मिलना ज़रूरी था?/ Kya Apna Milna Jaruri Tha? Hindi मैंने सोचा है दो-चार दफा क्या अपना मिलना ज़रूरी था जिस दिल में शाम थी चार पहर वहाँ धूप का खिलना ज़रूरी था?...
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